न जाने यह कैसा इंतज़ार है
न कोई मंज़िल है, न कोई राह है |
है तो सिर्फ एक उम्मीद है
क्या कोई और तरकीब भी है?
मेरी दुनिया आज अधूरी है
आगे बड़ी दूरी है |
हाय! यह कैसी मजबूरी है
तू अब भी मुझसे रूठी है ||
अपने वादे से मुकरती हो
क्या दुनिया से इतना डरती हो?
सामने आने से शर्माती हो
ख़्वाबों में चली आती हो ||
न जाने कितने लम्हों का यह संचार है
मिट जाने से पहले, मिलने की चाह है |
कई अरसे बीत गए, ऐसा सच्चा प्यार है
फिर भी तुम न जानो यह कैसा इंतज़ार है ||
- श्याम
perhaps my first poem in hindi since high school! thnx to the wonderful hindi teachers i ve had throughout my school days in bombay as well as madras!
ReplyDeletemujhe bhi intezar hai!
ReplyDeletewaqt ki baat hai... kabhi to milegi, kahin to milegi.. aaj nahi to kal! :P
ReplyDeletesabba!! kavida!! mudiyala! :) btw good one :)
ReplyDeleteThanks Shanky! :)
ReplyDeleteKya baat!
ReplyDeletethanks a lot ankit n sushant! :)
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